Nimisha Priya Death (Image Credit-Social Media)
नई दिल्ली। केरल की नर्स निमिषा प्रिया की यमन में निर्धारित फांसी हाल ही में टाल दी गई है, जिससे यह मामला फिर से सुर्खियों में आ गया है। यह एक जटिल और दुखद कहानी है जिसमें महत्वाकांक्षा, विश्वासघात और एक ऐसा कदम शामिल है, जिसकी कीमत अपूरणीय है। 2017 में अपने यमनी बिजनेस पार्टनर तालाल अब्दो महदी की हत्या के आरोप में दोषी ठहराई गई निमिषा की किस्मत अब महदी परिवार के कठोर रुख पर निर्भर करती है, जो यमन की शरीया आधारित न्याय प्रणाली के तहत केवल फांसी की सजा चाहते हैं। जैसे-जैसे कूटनीतिक प्रयास और क्षमादान की गुहार तेज हो रही है, यह मामला कई सांस्कृतिक जटिलताओं और व्यक्तिगत संकटों से भरा प्रतीत होता है।
महदी परिवार: क़िसास की अडिग माँग
महदी परिवार यमन की राजधानी सना के दक्षिण में स्थित धमार क्षेत्र का एक प्रतिष्ठित परिवार है। पीड़ित तालाल अब्दो महदी एक व्यवसायी थे, जिनकी कपड़े की दुकान थी और बाद में उन्होंने निमिषा की मेडिकल क्लिनिक योजना में भागीदारी की थी। इस परिवार का प्रभाव व्यापार से कहीं आगे तक फैला है — उनके एक करीबी रिश्तेदार यमन की न्यायपालिका और शूरा परिषद में उच्च पदों पर आसीन हैं, जिससे उनकी आवाज़ अदालती प्रक्रिया में और भी मुखर हो गई है।
निमिषा और तालाल: एक साझेदारी जो शिकार बन गई
38 वर्षीय निमिषा प्रिया केरल के पलक्कड़ ज़िले के कोल्लेंगोड की रहने वाली हैं। 2008 में 19 वर्ष की आयु में वह बेहतर नौकरी की तलाश में यमन पहुंची थीं। वह दिहाड़ी मजदूरों की संतान थीं और स्थानीय चर्च की सहायता से उन्होंने नर्सिंग का प्रशिक्षण पूरा किया था। स्कूली योग्यता अधूरी होने के कारण उन्हें केरल में प्रैक्टिस करने की अनुमति नहीं थी। यमन में उन्होंने सना के एक सरकारी अस्पताल में काम करना शुरू किया और फिर अपना खुद का क्लिनिक खोलने का सपना देखा। यमन के नियमों के अनुसार विदेशी नागरिक बिना किसी स्थानीय भागीदार के व्यापार नहीं कर सकते, इस कारण उन्हें एक यमनी भागीदार की आवश्यकता थी।
हत्या की रात: उद्देश्य, दुर्घटना और भयावह परिणाम
जुलाई 2017 में निमिषा की ज़िंदगी ने निर्णायक मोड़ लिया। वह एक बार फिर तालाल से मिलने गईं, जो एक और धोखाधड़ी के आरोप में जेल में था। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्होंने एक जेल अधिकारी की सलाह पर तालाल को केटामीन का इंजेक्शन दिया ताकि वह बेहोश हो जाए और वह उसका पासपोर्ट ले सके। लेकिन ओवरडोज़ के कारण तालाल की मौत हो गई। घबराकर, निमिषा ने यमन की एक अन्य नर्स हनान की मदद से शव के टुकड़े किए और सना के एक पानी की टंकी में शव को ठिकाने लगा दिया।
न्यायिक प्रक्रिया और मौत की सज़ा
उनका मुकदमा अरबी भाषा में हुआ, बिना दुभाषिए और उचित कानूनी सहायता के। 2018 में उन्हें मृत्युदंड सुनाया गया, जिसे 2020 में और फिर 2023 में यमन की सुप्रीम ज्यूडिशियल काउंसिल द्वारा बरकरार रखा गया। उनके समर्थन में 2020 में “सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल” का गठन किया गया, जो कहता है कि यह मुकदमा अनुचित था और उनका अपराध उनके वर्षों के शोषण की प्रतिक्रिया मात्र था।
हत्या की जगह और युद्ध का संदर्भ
यह हत्या सना शहर में हुई थी, जो हौथी विद्रोहियों के नियंत्रण में है। शव को जिस पानी की टंकी में डाला गया, वह स्थान स्पष्ट नहीं है, लेकिन यह बताता है कि यमन जैसे युद्धग्रस्त देश में कानून और व्यवस्था की स्थिति कितनी जर्जर है। यमन की दोहरी सरकार — एक सना में हौथियों की और दूसरी अदन में अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सरकार — के बीच भारत की कूटनीतिक कोशिशें सीमित हैं।
मौत की तारीख टली, लेकिन समय से लड़ाई जारी
महदी परिवार का पक्ष: यह क्रूर हत्या थी
तालाल के भाई अब्दुलफत्ताह महदी कहते हैं कि यह एक सोची-समझी हत्या थी। उन्होंने निमिषा द्वारा लगाए गए शारीरिक, यौन और आर्थिक शोषण के सभी आरोपों को खारिज किया और कहा कि अदालत में ऐसे कोई साक्ष्य नहीं दिए गए। उनके अनुसार यह हत्या किसी भी विवाद का समाधान नहीं हो सकती, चाहे वह क्लिनिक का हो या व्यक्तिगत। उन्होंने कहा: “हमारा रुख स्पष्ट है — हम केवल ईश्वर के कानून ‘क़िसास’ को लागू करना चाहते हैं, और कुछ नहीं।”
टोमी थॉमस कहाँ थे इस दौरान?
निमिषा के पति टोमी थॉमस भारत में केरल के कोल्लेंगोड में रहते थे। उनकी शादी 2011 में हुई और 2013 में उनकी एक बेटी हुई। 2014 में युद्ध की स्थिति और आर्थिक मजबूरियों के चलते टोमी और बेटी भारत लौट आए जबकि निमिषा यमन में रहीं। 2017 में गिरफ्तारी के बाद से टोमी और प्रेमकुमारी उनकी रिहाई के लिए सक्रिय प्रयास कर रहे हैं। अप्रैल 2024 में दोनों यमन गए और सना की जेल में निमिषा से मिले तथा महदी परिवार से बातचीत की।
क्या है ‘क़िसास’?
क़िसास एक इस्लामी न्याय सिद्धांत है जिसका अर्थ है “जैसे को तैसा” — यानी अपराध के बदले समान दंड। हत्या या जानबूझकर शारीरिक क्षति के मामलों में पीड़ित के परिवार को अपराधी की सज़ा तय करने का अधिकार होता है। यदि पीड़ित निर्दोष हो और अपराध जानबूझकर हुआ हो, तो अपराधी को मृत्युदंड दिया जा सकता है।
क्या है ‘दिया’?
दिया या रक्तपाई, वह धनराशि होती है जो हत्या, चोट या संपत्ति हानि के मामलों में पीड़ित परिवार को दी जाती है, यदि वे क़िसास की बजाय क्षमा और समझौते का रास्ता अपनाते हैं। दिया केवल तभी लागू होता है जब पीड़ित परिवार सहमति दे। यह सिद्धांत ईरान, सऊदी अरब जैसे देशों की शरीया आधारित व्यवस्था में मौजूद है।
निष्कर्ष
यह मामला सिर्फ एक हत्या नहीं, बल्कि युद्ध, पितृसत्ता, सांस्कृतिक संघर्ष और अंतरराष्ट्रीय कानून की जटिलताओं से जुड़ी त्रासदी बन चुका है। निमिषा की ज़िंदगी अब उन आखिरी कोशिशों पर टिकी है जो न्याय और करुणा के बीच संतुलन तलाश रही हैं।
You may also like
Safari और Hector की छुट्टी करने आ रही है ये नई 7-सीटर SUV, सनरूफ से लेकर 7 एयरबैग से होगी लैस
ऋषि कंडु और अप्सरा प्रम्लोचा की 907 वर्षों की अद्भुत प्रेम कहानी
बासनपीर जा रहे कांग्रेस सांसद और विधायक को पुलिस ने रोका, थानाधिकारी से धक्का मुक्की का सामने आया वीडियो
मध्य प्रदेश: नीमच में डाकघरों की हाईटेक सेवाओं ने बदली तस्वीर, लोगों का बढ़ा विश्वास
कांग्रेस-सीपीएम के बीच चल रही स्पर्धा : मुख्तार अब्बास नकवी